किसान के बेटे के सपनों मे भरे विशाल संकल्प ने रंग


Warning: Trying to access array offset on value of type bool in /home/vs.ellospaces.com/public_html/wp-content/plugins/pro-elements/modules/dynamic-tags/tags/post-featured-image.php on line 36

आज मैं फूलों की खेती कर रहीं हूँ।कल जब मेरे ये फूल महकेंगे तो किसी को ख़बर हो ना हो दो को जरूर होगी।एक जिसको मदद मिली दूसरा जिसने मदद की।जबकि प्रेरक ईश्वर तीनों कालो में हमेशा रहे। आप देख रहे है,मेरे साथ आत्मविश्वास से भरे हुये अव्यक्त को,जो (आई ए एस) बनकर देश की सेवा करने को संकल्पित है।

पिता किसान है और अव्यक्त ने अपनी योग्यता से अपनी छात्रवृत्ति अर्जित की है। अमर उजाला और अव्यक्त के बीच सेतु बन गया विशाल संकल्प। जी हाँ,(महकने दो) की अपील के साथ संस्था हर उस बच्चे के साथ है जो आगे बढ़ना चाहती है,जिनमे कुछ करने का जज़्बा है।

अब तो हमें यकीन होने लगा है कि कोई करें ना करें मेरे ये बच्चे विशाल संकल्प के शिक्षा के संकल्प को जरूर पूरा करेंगे। जय हिंद अव्यक्त के साथ मेरी बातचीत व आज के अमर उजाला दैनिक समाचार पत्र में।

अंजलि विशाल संकल्प

\
EN